Diwali 2023 Puja muhurat, जाने दीपावली क्यों मनाई जाती है?

Diwali 2023 Puja muhurat when is Deepawali : दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, जो भारत में प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला प्रमुख हिंदू त्यौहार है यह हिंदू धर्म में सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। रोशनी का यह त्योहार दुनिया भर के लाखों लोगों के दिलों में एक पवित्र स्थान रखता है। इसकी उत्पत्ति का इतिहास और कथा अनेक प्रकार से मिलती है। यह मनमोहक उत्सव अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर खुशी की विजय का प्रतीक है।

Diwali 2023 Puja Muhurat When is Deepawali

दिवाली 2023 पूजा समय

दिवाली  २०२३ , 12 नवंबर रविवार के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:40 से शाम 07:36 तक रहेगा। वहीं प्रदोष काल शाम 05:29 से रात्रि 08:07 तक रहेगा। सिंह काल देर रात्रि 12:12 से रात्रि 02:30 तक रहेगा। इस विशेष मुहूर्त में धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी । विशेष : माता दुर्गा के १०८ नामो का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी ।

दिवाली पर गणेश मंत्र , मां लक्ष्मी पूजा मंत्र

”वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

2023 में दिवाली कब है?

भारतीय कैलेंडर के अनुसार, दिवाली हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। 2023 में दिवाली 12 नवंबर (रविवार) को मनाई जाएगी. दिवाली को पूरे देश में राजपत्रित अवकाश के रूप में मनाया जाता है।

पौराणिक कथा: हिन्दू धर्म में, दिवाली के त्यौहार का संबंध ज्योतिष की दृष्टिकोण से होता है। इसके अनुरूप, दिवाली का त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है । ये चंद्रमा के प्रकाश की कमी को दूर करने के लिए मनया जाता है। लोग इस दिन दीपक (दिया ) जला कर अंधेरों को दूर करके,  रोशनी से धरा को प्रकाशित करते है।

धार्मिक कथा: एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र, भगवान श्री राम, लंकाधिपति रावण से विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे। उनके आगमन की ख़ुशी के उपलक्ष्य में अयोध्या वासियों ने नगर में दीप जला कर उनका भव्य स्वागत किया । और उनके आने पर दिवाली का त्यौहार मनाया।

इस दिन,अयोध्या के लोगों ने अपने घरो को दीपो की लड़ियों की रोशनी से प्रकाशित किया और इस प्रथा को आज भी जारी रखा गया है। इसके अलावा, दिवाली के त्यौहार के और भी कई धार्मिक कथाएं और प्रथाएं हैं जो विविध क्षेत्रों में मनाई जाती हैं। ये त्यौहार भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की पूजा के लिए भी महत्पूर्ण है, तथा उनसे समृद्धि, सुख,और सफलता की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है।

कहा जाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत, और अधर्म पर धर्म की जीत एवं असत्य पर सत्य की जीत की ख़ुशी के लिए मनाया जाता है।  दिवाली का त्यौहार भारत के विविध क्षेत्रों में विविध रूपों में मनाया जाता है। और हर क्षेत्र अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुसार इसे मानता है। तथा लोग इस त्यौहार में दीप (दिया) जलाकर , रंगोली बनाकर,एक दूसरे को मिठाई बाँटकर, और पटाखो की भरमार करके बड़े ही हर्षोउल्लास से मानते है।

भारत में पांच दिनों तक दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।:

तारीख दिन त्योहार मुहूर्त समय
10 नवंबर 2023 शुक्रवार धनतेरस 06:02 PM to 08:00 PM
11 नवंबर 2023 शनिवार छोटी दिवाली 11:39 PM to 12:32 AM
12 नवंबर 2023 रविवार दिवाली 05:40 PM to 07:36 PM
13 नवंबर 2023 सोमवार गोवर्धन पूजा 06:18 AM to 08:36 AM
14 नवंबर 2023 मंगलवार भाई दूज 01:17 PM to 03:30 PM

1. दिवाली का प्रथम दिवस “धनतेरस” : कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है, इस दिन धन, समृद्धि और दिवाली की शुभ शुरुआत करके धनतेरस के दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और सोना-चांदी खरीदते हैं क्योंकि इसे शुभ माना जाता है।

2. दिवाली का द्वितीय दिवस “छोटी दिवाली” : कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को छोटी दिवाली को भव्य त्योहार के रूप में जानी जाती है, इस लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंग-बिरंगी रंगोली बनाते हैं और तेल व घी के दीपक जलाते हैं।

3. दिवाली का तृतीय दिवस “दिवाली” : कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की अमावस्या – दिवाली का मुख्य दिन, लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं। और अपने परिवारों के साथ इकट्ठा होकर भगवान गणेश व् माता लक्ष्मी एवं धन के देवता कुबेर जी की पूजा करते है। तथा विश्व के कल्याण हेतु उनसे प्रार्थना करते है, साथ ही घरो में तेल व घी के दीपो को जला कर खुशियां मनाते है। और उपहारों व् मिठाइयों का आदान-प्रदान करते है तथा लोग आतिशबाजी करके रात में आसमान को जगमगा देते है और विशेष व्यंजनों का आनंद लेते हैं।

4. दिवाली का चौथा दिवस गोवर्धन पूजा: कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा – गोवर्धन पूजा, जो कि भारत में एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है, भगवान कृष्ण की लीला से जुड़ा हुआ है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण की प्रति भक्ति है Goverdhan Puja

और उनकी लीलाओं की महत्ता को याद रखना है।

कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्री कृष्ण के समय, ब्रज भूमि में गोकुल और मथुरा के लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करके प्रसाद (अन्न और जल) अर्पण कर रहे थे। यह देख कर देवताओ के राजा इंद्र देव को क्रोध आ गया और क्रोध में आकर उन्होंने ब्रज भूमि पर आंधी और वर्षा का एलान कर दिया।

जिससे की घनघोर आंधी और वर्षा होने लगी, तब भगवान श्री कृष्ण ने इस समस्या का समाधान निकाला और उन्हेंने सभी गोकुलवासियों को कहा कि वे गोवर्धन पर्वत की पूजा करें उनकी शरण में चले।

5. दिवाली पंचम दिवस भाई दूज: कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की द्वितीया – भाई दूज एक पवित्र हिंदू त्यौहार है, जिसे भाई और बहन के प्यार के बंधन को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस त्यौहार को अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे यम द्वितीया, भाई टीका।

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा जिनका विवाह अर्जुन के साथ हुआ था । उनकी रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण और श्री यमराज के बीच पृथ्वी पर युद्ध हुआ था और  श्री कृष्ण ने श्री यमराज को समझा कर अपनी बहन सुभद्रा की रक्षा की थी और उनको आशीर्वाद दिया था।

इस घटना के प्रति श्रद्धा और समर्पित भावना से, भाई दूज का त्यौहार प्रारंभ हुआ। इस दिन, भाई अपनी बहन को धन, आशीर्वाद, और प्रेम का प्रतीक देते है , जबकी बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती है। बहन अपने भाई के लिए आरती भी करती है और उन्हें मिठाई खिला कर, उपहार लेती है।

Bhai Dooj

मिट्टी के दीपक, जो मिट्टी से बने होते हैं और तेल या घी डाल कर जलाये जाते है , काई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इनको जलाना कुछ विशेष लाभ मिलता है:

Deep

१. मिटटी के दीपो को शुभ अवसर पर जला कर सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है ।

२. माना जाता है की मिटटी के दीपो को जलाने से भक्ति और आध्यात्मिकता को बढ़ावा मिलता है ।

३. मिट्टी के दीपकों को जलाना एक प्राकृतिक और धार्मिक प्रथा है ।

४. मिट्टी के दीपक हमारे सांस्कृतिक धर्मों में महत्वपूर्ण है। और इनसे निकली

ऊर्जा अपने आस-पास के माहौल को शुद्ध और पवित्र कर देती हैं।

५. मिट्टी के दीप से पूजा आरती करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

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