मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?

मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है जाने ? What happens to the soul after death?

जीवन का एक अटल सत्य है मृत्यु । यहाँ तो केवल भौतिक और शारीरिक अंत होता है, लेकिन अपने कभी सोचा की आत्मा का क्या होता है? यह प्रश्न तो शादियों  से धर्म, दर्शन, और विज्ञान का विषय रहा बना रहा है। विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और दार्शनिकों ने आत्मा के अस्तित्व और मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में अलग-अलग विचार  प्रस्तुत किए हैं। इस लेखन  में, हम आपको  आत्मा के संबंध में हिंदू धर्म और , इस्लाम, तथा  ईसाई धर्म, और  बौद्ध धर्म, एवं और अन्य दर्शनों के विचारों को विस्तार से साझा करेंगे ।

मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है
मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है

१। हिंदू धर्म में आत्मा और मृत्यु के बाद का जीवन कैसा होता है  (Life of Soul after death in Hinduism)

हिंदू धर्म के अनुसार, आत्मा न तो जन्म लेती है और न ही मरती है यानी की आत्मा अजर अमर है । यह अनंत है और यह केवल शरीर बदलती है।इसका मतलब कि , जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को त्यागकर नए कपड़े धारण करता है, वैसे ही आत्मा भी एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में धारण करती है। ये ना मरती और ना ही जन्म लेती है। भगवद गीता (अध्याय 2, श्लोक 22) में लिखा गया है कि –

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय,
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-
न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥

मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?
मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?

पुनर्जन्म और कर्म सिद्धांत (Reincarnation & Law of Karma)

हिंदू धर्म में  पुनर्जन्म का अर्थ है की मृत्यु के बाद आत्मा का एक नए शरीर में जन्म लेना।और यह आत्मा की अमरता पर आधारित है। मृत्यु के बाद आत्मा अपने कर्मों के आधार पर ही अगले जन्म में प्रवेश करती है। यदि किसी व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए हैं, तो उसे सुखद और बहतर  जीवन मिलता है, वहीं जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो उसे कष्टमय जीवन में जन्म लेना पड़ता है।जिसका उल्लेख भगवद गीता में भी किया गया है-

“न जायते म्रियते वा कदाचिन् नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥”

(भगवद गीता 2.20)

और, कर्म सिद्धांत Law of Karma

हिंदू धर्म में  कर्म का अर्थ है “क्रिया” या “कार्य” जो की कर्म कहलाती है । कर्म सिद्धांत के अनुसार ही , प्रत्येक व्यक्ति को उसके अच्छे या बुरे कार्यों का प्रभाव उसके वर्तमान और भविष्य के जीवन पर पड़ता है। सामान्यतः यह तीन प्रकार के कर्म माने जाते हैं-

  1. संचित कर्म – पिछले जन्मों में किए गए संचित कर्म, जो फल देने के लिए प्रतीक्षारत रहते हैं।
  2. प्रारब्ध कर्म – वर्तमान जीवन में किए गए फल देने वाले कर्म, जिन्हें बदला नहीं जा सकता।
  3. क्रियमाण कर्म – वर्तमान में किए गए ऐसे कर्म, जो भविष्य को प्रभावित करेंगे।

मोक्ष – अंतिम लक्ष्य (Moksha – the ultimate goal)

हिंदू धर्म में मोक्ष को ही अंतिम लक्ष्य माना जाता है, जो की जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होने की अवस्था को दर्शाता है । जब आत्मा अपने कर्मों से मुक्त हो जाती है और परमात्मा में लीन हो जाती है, तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है।मोक्ष प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने कर्मों को शुद्ध करना पड़ता है और आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है। हिंदू धर्म के अनुसार, चार प्रकार के प्रमुख मार्ग, मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होते हैं-

        1. ज्ञान योग – आत्मा और ब्रह्म की वास्तविकता को जानना।
        2. भक्ति योग – भगवान की भक्ति करना।
        3. कर्म योग – निस्वार्थ कर्म करना।
        4. राज योग – ध्यान और साधना द्वारा आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना।

२। इस्लाम में मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है What happens to the soul after death in Islam?

इस्लाम धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा को एक विशेष प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसे “बरज़ख” (Barzakh) कहा जाता है, जो मृत्यु और कयामत (doomsday) के बीच की कड़ी  है।

बरज़ख और कब्र की ज़िंदगी

इस्लाम धर्म (Islam) की मान्यता के अनुसार, व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा को कब्र में ले जाया जाता है, जहां दो फरिश्ते मुनकर और नकीर आत्मा से सवाल पूछते हैं। यदि आत्मा सही उत्तर देती है, तो उसे कब्र में शांति मिलती है, अन्यथा उसे तकलीफ सहनी पड़ती है।(otherwise he has to suffer).

क़यामत का दिन (doomsday)

इस्लाम के अनुसार, एक दिन, कयामत का दिन (Judgment Day) आता है और उस दिन सभी आत्माओं को उनके कर्मों के आधार पर जन्नत (स्वर्ग) या जहन्नम (नरक) भेजा जाता है । मात्यता है कि  जो लोग नेक होते हैं, वे लोग जन्नत में आराम से रहते हैं, जबकि पापी लोग जहन्नम में सजा पाते रहते हैं।

इस्लाम में मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है
इस्लाम में मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है

३। ईसाई धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा का सफर (Journey of the soul after death in Christianity)?

ईसाई धर्म के अनुसार, आत्मा को ईश्वर द्वारा बनाई गई एक शाश्वत सत्ता माना जाता है। मृत्यु के बाद आत्मा दो स्थितियों में जाती है स्वर्ग (Heaven) अथवा नरक (Hell):

1. स्वर्ग (Heaven): ईसाई धर्म के अनुसार, अच्छे कर्म करने वाले और प्रभु यीशु मसीह में विश्वास रखने वालों की आत्मा स्वर्ग में जाती है, जहां उन्हें अनंत सुख मिलता है।
2. नरक (Hell): पापी लोगों की आत्मा नरक में जाती है, जहां उन्हें उनके पापों की सजा मिलती है।

इस  धर्म में पुनर्जन्म की कोई मान्यता नहीं है, बल्कि पुनरुत्थान (Resurrection) का सिद्धांत है, जिसमें विश्वास किया जाता है कि अंत में सभी मृतकों को ईश्वर न्याय देने के लिए जीवित करेगा।

४। बौद्ध धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है What happens to the soul after death in Buddhism?

बौद्ध  धर्म के अनुसार, आत्मा को “अहं” के रूप में नहीं माना जाता, बल्कि इसे”अनात्मवाद” कहा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि कोई भी स्थायी आत्मा नहीं होती। मृत्यु के बाद व्यक्ति की चेतना (आत्मा) उसके कर्मों के अनुसार एक नए शरीर में प्रवेश हो जाती है।

अतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण की ओर से  इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है कि मृत्यु के बाद आत्मा का अस्तित्व है भी  या नहीं। लेकिन यह विषय मानव सभ्यता के लिए हमेशा जिज्ञासा का विषय बना रहा है, क्योंकि यह जीवन के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है।

 

Disclaimer: यह सूचना सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें। यहां यह बताना जरूरी है। कि techbyqueen.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है ।

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